विश्वभर में कोरोना एक माह मारी के रूप में फैला है जिसने अब तक हजारो लोगो को अपने प्रकोप मे लिया है. भारत देश में भी धीमी गति से ही सही लेकिन काफी कोशिशों के बाद भी कोरोना के मामले बढ़ रहे है यह चिंताजनक है ।
इससे प्रतीत हो रहा है कि आगे चलकर मेडिकल, पैरामेडिकल, नर्सिंग डिपार्टमेंट में काम काज तीव्र गति के साथ बढ़ रहा है।
विश्वभर मे भारत लोकडाउन के फैसले के बाद से ही चर्चा का विषय बना है, भारत मे सबसे पहले राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने लॉक डाउन किया था । जिसके कारण केंद्र सरकार ने भी उसका इसका स्वागत किया था और पूरे देश मे लॉक डाउन लगा दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉक्टर और र्सिंग स्टाफ के सम्मान में कभी थालिया और तालियों के साथ एक निच्छित समय पर पूरे देश के नागरिकों की एकता दिखाने व मन से कोरोना का भय कुछ हद तक कम करने के लिए ऐसा करने को कहते है, तो कभी 9 मिनिट के लिए रात को 9 बजे लाइट ऑफ करके 9 मिनिट के लिए दिए जलाने को कहते है, कुछ लोग इसको फॉलो कर जलाते भी है और ये भी राष्ट्रीय एकता को दर्शाने व इमरजेंसी सेवाओ में लगे नागरिको के सम्मान के लिए करने को कहते है।
सब बात ठीक है पर मुझे अच्छा उस समय अच्छा नही लगता जब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने नर्सेज के लिए कम से कम सैलेरी 20,000 रखने पर भी देश के हजारों निजी संस्थओं के साथ कई राज्य सरकारे आज भी मिनिमम सैलेरी 20,000 रुपये प्रति माह तक नही दे पा रही ।
एक तरफ तो WHO नर्सेज और मिडवाइफ के सपोर्ट के लिए स्वास्थ्य दिवस की थीम रखता है, वही भारत जैसे देश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कही राज्यों ने और केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला नही माना, लेकिन इस फैसले को केवल कुछ राज्यों ने ही मान और अपने राज्य में नर्सेज की न्यूनतम सैलेरी 20000 की घोषणा कर दी। लेकिन हकीकत कोशो दूर है।
विश्वभर मे भारत लोकडाउन के फैसले के बाद से ही चर्चा का विषय बना है, भारत मे सबसे पहले राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने लॉक डाउन किया था । जिसके कारण केंद्र सरकार ने भी उसका इसका स्वागत किया था और पूरे देश मे लॉक डाउन लगा दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉक्टर और र्सिंग स्टाफ के सम्मान में कभी थालिया और तालियों के साथ एक निच्छित समय पर पूरे देश के नागरिकों की एकता दिखाने व मन से कोरोना का भय कुछ हद तक कम करने के लिए ऐसा करने को कहते है, तो कभी 9 मिनिट के लिए रात को 9 बजे लाइट ऑफ करके 9 मिनिट के लिए दिए जलाने को कहते है, कुछ लोग इसको फॉलो कर जलाते भी है और ये भी राष्ट्रीय एकता को दर्शाने व इमरजेंसी सेवाओ में लगे नागरिको के सम्मान के लिए करने को कहते है।
सब बात ठीक है पर मुझे अच्छा उस समय अच्छा नही लगता जब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने नर्सेज के लिए कम से कम सैलेरी 20,000 रखने पर भी देश के हजारों निजी संस्थओं के साथ कई राज्य सरकारे आज भी मिनिमम सैलेरी 20,000 रुपये प्रति माह तक नही दे पा रही ।
एक तरफ तो WHO नर्सेज और मिडवाइफ के सपोर्ट के लिए स्वास्थ्य दिवस की थीम रखता है, वही भारत जैसे देश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कही राज्यों ने और केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला नही माना, लेकिन इस फैसले को केवल कुछ राज्यों ने ही मान और अपने राज्य में नर्सेज की न्यूनतम सैलेरी 20000 की घोषणा कर दी। लेकिन हकीकत कोशो दूर है।
नर्सेज के साथ आये दिन केंद्र और राज्य सरकारे किसी न किसी प्रकार से प्रताड़ित कर रही है। कोरोना के संकट की घड़ी में क
ही जगह PPE उपलब्ध नही है जिससे नर्सेज को कोरोना वायरस का खतरा बना रहता है। साथ ही इन बातो को भी नही भुलाया जा सकता की सरकार की मदद के लिए नर्सेज हर समय अपनी सेवाए दे रही है और नर्सेज और डोक्टर की मदद के लिए विभिन्न NGO अपने स्तर पर PPE किट उपलब्ध करवा रहे है.